अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations)

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Authored By : Tayal B.B.

Publisher: Sultan Chand & Sons

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अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations)

Summary of the Book

Book Content

1. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन के विभिन्न उपागम: क्लासिकी यथार्थवाद और नवयथार्थवाद

अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम
पाठ्यक्रम परिचयः अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का विषयक्षेत्र
क्लासिकी अथवा परंपरागत यर्थाथवाद
क्लासिकी अथवा परंपरागत यर्थाथवाद का मूल्यांकन
नवयथार्थवाद अथवा संरचनात्मक यथार्थवाद
परंपरागत यथार्थवाद और नवयथार्थवाद के बीच क्या भिन्नताएँ हैं?
सार-संक्षेप

2. विभिन्न उपागम: नवउदारवाद


विल्सन का आदर्शवाद
बीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण के प्रमुख उदारवादी विचारक
नवउदारवाद
राॅबर्ट ओ. कोहेन और जाॅजेफ एस. नाई का ‘जटिल परस्पर-निर्भरता’ का सिðांत
खेल सिðांत
नवउदारवादी सिद्धांतों से क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
नवउदारवाद का आलोचनात्मक मूल्यांकन
सार-संक्षेप

3. विभिन्न उपागम: विश्वव्यवस्था उपागम और परनिर्भरता अथवा पराश्रयवादी सिद्धांत

माक्र्सवादी सिद्धांत की मूल मान्यताएँ
विश्वव्यवस्था उपागम
परनिर्भरता अथवा पराश्रयवादी सिद्धांत
अल्पविकसित देशों की समस्याओं का हल क्या है?
विश्वव्यवस्था उपागम और परनिर्भरता सिद्धांत का मूल्यांकन
 सार-संक्षेप

4. नारीवादी परिदृश्य     


पितृसत्तात्मक व्यवस्था के मूल कारण
नारीवाद और अंतर्राष्ट्रीय संबंध
निष्कर्ष: सुरक्षा की अवधारणा को व्यापक बनाने की जरूरत है
सार-संक्षेप

5. द्वितीय विश्वयुð तथा शीतयुð का उद्गम 


द्वितीय विश्वयुð के कारण
द्वितीय विश्वयुð की प्रमुख घटनाएँ
धुरी राष्ट्रों की पराजय
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामः युð के बाद की अंतर्राष्ट्रीय घटनाएँ
शीतयुद्ध का अर्थ
शीतयुद्ध का उद्गम: इसके उद्भव के कारण
शीतयुद्ध के परिणाम और विशेषताएँः दो ध्रुवीय विश्व का उद्गम
सार-संक्षेप

6. प्रथम शीत युद्ध: इसके विभिन्न चरण और तनाव शैथिल्य       


तीन प्रमुख चरण
तनाव शैथिल्य
 सार-संक्षेप

7. द्वितीय शीतयुद्ध, शीतयुद्ध का अंत और सोवियत संघ का विघटन 


शीतयुद्ध का पुनर्जन्म
नये शीतयुद्ध की प्रकृति
शीतयुद्ध का अंत
सोवियत संघ के विघटन अथवा ढह जाने के कारण
सोवियत संघ के ढह जाने के परिणाम
सार-संक्षेप

8. शीतयुद्ध के बाद का युगः शक्ति के उभर रहे केंद्र


अमेरिकी वर्चस्व के तीन आयाम: सैन्य क्षमता, आर्थिक ताकत और सांस्कृतिक वर्चस्व
यूरोपीय संघ
विश्व राजनीति में यूरोपीय संघ की भूमिका: इसका आर्थिक, राजनीतिक और सैनिक प्रभाव
चीन का उत्थान
1970 के दशक के कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय: आधुनिकीकरण और खुले द्वार की नीति
नई आर्थिक नीतियों के परिणाम: चीन एक वैश्विक शक्ति बनकर उभरा है
चीन का शक्ति-अर्जन का खेल
विश्व राजनीति में रूस की भूमिका
जापान: उगते हुए सूर्य की भूमि
जापान वैकल्पिक शक्तिकेंद्र बन सकता है
 सार-संक्षेप

9. भारत की विदेश नीति के निर्धारक तत्त्व और गुटनिरपेक्षता की नीति


विदेश नीति का महत्त्व और उद्देश्य
विदेश नीति के निर्धारक तत्त्व
गुटनिरपेक्षता की नीति
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का महत्त्व: तीसरी दुनिया के देशों को उसने क्या लाभ पहुँचाया?
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता
भारत की विदेश नीति: लक्ष्य एवं सिद्धांत तथा विकास और   अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की वृद्धि के लिए उठाए गये कदम
सार-संक्षेप

10. भारत: एक उभरती हुई ताकत

स्वतंत्रता के समय आर्थिक परिस्थितियाँ
स्वतंत्रता के समय विद्यमान सामाजिक ढाँचा
विकास के विभिन्न माॅडल
मिश्रित अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन
नई औद्योगिक नीति
एक महाशक्ति बनने की संभावना
हमारी समस्याएँ: कमजोरियाँ और चुनौतियाँ
सार-संक्षेप
 


 

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