पूर्व में लिखित पुस्तकां में सतही तौर पर मुस्लिम समुदाय को तत्वतः स्पर्श किया गया है। यह बिरादरी कहीं पर भी केंन्द्रित नहीं की गई। चूंकि मुस्लिम धर्म में ‘‘छुआछूत व सफ़ाईकर्मियों की सामाजिक अवधारणा’’ नहीं हैं, अतः उनकी ओर समुचित ध्यान नहीं दिया गया, न ही उनके कल्याणानार्थ योजनाएँ बनाई गई, यह पुस्तक इस दिशा में किये जाने वाला एक सार्थक प्रयास है।
शोधार्थियों, सरकारी व गै़र सरकारी कल्याणकारी संस्थाएं व स्वयं मुस्लिम समुदाय के लिए यह पुस्तक विशेष महत्व रखती है। हेला बिरादरी की दशा सुधारने की दिशा में यह पुस्तक ‘‘मील का पत्थर’’ साबित हो सकती है।
यह पुस्तक ‘‘यथार्थ के धरातल पर छुपी मुस्लिम समुदाय की कमी व हेला बिरादरी की समस्याओं’’ की ओर ध्यान आकख्रषत करेगी, ताकि उनके निदान हेतु योजनायें बनाई जा सकें। इसमें प्रदत्त आँकडे़, निष्कर्ष और सुझाव योजनाओं को मूर्त रूप देने में विशेष सहायक होगें।
मुस्लिम समुदाय का हिस्सा होने के बावजूद भी ‘‘हेला बिरादरी तिरस्कृत, उपेक्षित, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुविधाओं से वंचित’’ है। इनके उत्थान के लिए सरकार, मुस्लिम समुदाय एवं पूरे समाज को इनकी सहायता करनी चाहिए, ताकि यह संविधान वर्णित अधिकारों का उपयोग कर समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ सकें।